Kharif Ki Fasal की मुख्यता जून-जुलाई में बुवाई की जाती है| खरीफ की फसलों को बोते समय अधिक तापमान एवं आद्रता की आवश्यकता होती है| एवं इन फसलों को पकते समय शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है| मानसून की शुरुआत में खरीफ फसलों की बुवाई की जाती है, यही वजह है कि खरीफ की फसलों को मानसून की फसल के नाम से भी जाना जाता है| खरीफ अरबी भाषा का एक शब्द है जिसका मतलब होता है पतझड़| खरीफ की फसलों की कटाई अक्टूबर महीने के आसपास की जाती है, जब पतझड़ का मौसम होता है| आगे इस आर्टिकल में हम खरीफ फसल से संबंधित और जानकारी विस्तार से जानेंगे|
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खरीफ की फसल किसे कहते हैं?| Kharif Ki Fasal in Hindi
पहली बारिश शुरू होने के साथ जून-जुलाई में बोई जाने वाली फसलें खरीफ की फसल के अंतर्गत आती हैं| खरीफ की फसलों में काफी ज्यादा मात्रा में पानी और गर्म मौसम की आवश्यकता होती है| खरीफ की फसल सितंबर-अक्टूबर के महीनों में काटी जाती है| चलिए आगे हम जानते हैं कि Kharif Crops कौन सी है|
खरीफ की फसलों की लिस्ट | Kharif Crops List
फल | सब्जियां | अनाज | बीज |
गन्ना | बैगन | धान | तिल |
सेब | मिर्ची | चावल | अरहर |
बदाम | भिंडी | सोयाबीन | मूंग |
खजूर | टिंडा | बाजरा | उड़द |
अखरोट | टमाटर | जौ | चना |
खुबानी | बीन | मक्का | लोबिया |
पूलम | लौकी | – – – – – | कपास |
आडू | करेला | – – – – – | मूंगफली |
संतरा | तोरई | – – – – – | मूंगफली |
अमरूद | सेम | – – – – – | ग्वार |
लीची | खीर | – – – – – | – – – – – |
– – – – – | ककड़ी | – – – – – | – – – – – |
– – – – – | कद्दू | – – – – – | – – – – – |
– – – – – | तरबूज | – – – – – | – – – – – |
खरीफ की फसल कौन कौन सी है?| Kharif Crops List in Hindi
खरीफ फसल के अंतर्गत बहुत सी फसलें आती हैं, खरीफ की फसल (Kharif Crops) के नाम नीचे दी गई है, जो इस प्रकार है-
चावल
चावल एक प्रकार का उष्णकटिबंधीय फसल है, चावल की फसल वायुमंडलीय नमी और वर्षा पर निर्भर करता है| दुनिया में चावल का उत्पादक के रूप में भारत दूसरे स्थान पर हैं| चावल की खेती/धान की खेती के शुरुआती दिनों में सिंचाई के लिए 10 से 12 सेंटीमीटर गहरे पानी की आवश्यकता होती है | धान की खेती आप प्रत्यारोपण तकनीकी, जापानी प्रत्यारोपण तकनीकी, यस आर आई तकनीकी के माध्यम से कर सकते हैं| चावल की किस्म के अंतर्गत कई किस्में आती हैं, जैसे अमन, साली, अफगानी, आस, बोरो, पलुआ आदि|
चावल की खेती के लिए लगभग 24 °C तापमान की आवश्यकता होती है, वहीं पर 150 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है| भारत के राज्य पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ में प्रमुख रूप से चावल की खेती की जाती है|
गन्ना
गन्ना एक नगदी फसल के रूप में जाना जाता है, पूरी दुनिया में गन्ना उत्पादन की दृष्टिकोण से भारत दूसरे स्थान पर है| अगर आप गन्ने की खेती करते हैं तो आपको यह ध्यान रखना होगा, कम से कम 7-8 महीने लंबे बारिश की क्या जरूरत होती है| उप उष्णकटिबंधीय किस्म के गन्ना की खेती उत्तर भारत में की जाती है| इसीलिए चीनी की मात्रा कब होती है, जिसके कारण चीनी कारखानों को सर्दियों के मौसम में बंद कर दिया जाता है| जबकि उष्णकटिबंधीय विविधता और तटीय क्षेत्रों में यानी दक्षिण भारत में गन्ने की पैदावार काफी ज्यादा होती है|
गन्ने की खेती के लिए 20-26°C का तापमान की आवश्यकता होती है, जबकि 75 से 150 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है| अगर मिट्टी की बात करें तो भूरी दोमट मिट्टी, लाल दोमट मिट्टी, काला कपास मिट्टी, क्ले लोई मिट्टी में गन्ने की फसल काफी अच्छी होती है| भारत के राज्य पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात, बिहार, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र में गन्ने की खेती की जाती है| लेकिन गन्ने का उच्चतम उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश हैं| जबकि गन्ने की खेती का उच्चतम उत्पादन देश ब्राजील है|
जूट
जूट एक उष्णकटिबंधीय पौधा है इसीलिए जूट की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है| गंगा डेल्टा में दुनिया के लगभग 85% जूट की खेती की जाती है| जूट की किस्में व्हाइट जूट, टोसा जूट हैं| जूट की खेती के लिए 24-35° C तापमान की आवश्यकता होती है, जबकि 125 से 200 सेंटीमीटर बारिश की आवश्यकता होती है| सैंडी और क्ले लोम मिट्टी में झूठ की पैदावार काफी अच्छी होती है|
भारत के राज्य उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, में जूट की खेती की जाती है| लेकिन जूट का उच्चतम निर्माता पश्चिम बंगाल है| जूट का उच्चतम उत्पादक देश भारत है, लेकिन उच्चतम निर्यातक बांग्लादेश है|
कपास
कपास भी उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय खरीफ फसल के अंतर्गत आता है| कपास की फसल को व्हाइट गोल्ड के नाम से भी जाना जाता है| कपास के उत्पादन में भारत दुनिया भर में तीसरे स्थान पर है| वैसे तो कपास एक सूखी फसल है, लेकिन जड़ों की परिपक्वता के समय पानी की आवश्यकता होती है| कपास की किस्में जैसे- लाॅन्ग स्टेपल, मीडियम स्टेपल, शाॅर्ट स्टेपल आदि| कपास की खेती के लिए 21-30°C तापमान की आवश्यकता होती है| जबकि 50 से 100 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है| काली मिट्टी में कपास की खेती काफी अच्छी होती है जिससे पैदावार अच्छा होता है|
भारत के राज्य उड़ीसा, तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात में कपास की खेती की जाती है| 2015 की रिपोर्ट के अनुसार कपास की खेती का उच्चतम निर्माता गुजरात था| जबकि कपास की खेती का उच्चतम उत्पादक देश चीन है|
मूंगफली
भारत में मूंगफली एक प्रकार की तिलहनी फसल है, भारत के राज्य गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश में मूंगफली उगाई जाती है| मूंगफली की उन्नत तकनीकी जैसे उन्नत किस्में, रोग नियंत्रण, निराई गुड़ाई एवं खरपतवार नियंत्रण आदि को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीनस्थ अनुसंधान संस्थानों के द्वारा विकसित की गई है|अधिकांश करके मानसून शुरू होने के साथ ही मूंगफली की बुवाई शुरू की जाती है| उत्तर भारत में मूंगफली की बुवाई 15 जून से 15 जुलाई के मध्य की जाती है|
अच्छे जल निकास वाली, भुरभुरी दोमट व बलुई दोमट मिट्टी मूंगफली की खेती के लिए काफी अच्छी मानी जाती है | मूंगफली की फसल में सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है, हां अगर पौधों में फूल आते समय खेत में सूखे की स्थिति दिखाई दे रही है, तो उस समय थोड़ा सिंचाई कर देना चाहिए|
हल्दी
हल्दी की पैदावार सामान्यता तौर पर सभी प्रकार की भूमि में हो जाती है| लेकिन बलुई दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी जिसमें जीवांश की अच्छी मात्रा हो, ऐसी मिट्टी में हल्दी की पैदावार बहुत अच्छी होती है| हल्दी की उन्नतशील किस्में जैसे : सुगंधा, रोमा, सुरोमा, co-1, कृष्णा, राजेंद्र सोनिया,सुगुना, सुदर्शन, सुवर्णा, प्रभा, प्रतिभा आदि|
हल्दी की बुवाई 15 अप्रैल से 15 जुलाई तक के बीच में की जाती है| सामान्य तौर पर किसान हल्दी की बुवाई समतल भूमि पर क्यारियां बनाकर करते हैं| लेकिन जहां पर खेतों में पानी रुकने की काफी संभावना होती है, वहां पर हमें हल्दी की बुवाई मेड़ के ऊपर करनी चाहिए| हल्दी की बुवाई चिकनी दोमट या मरियाल मिट्टी में करनी चाहिए, क्योंकि यहां पर सिंचाई की आवश्यकता कम पड़ती है| हल्दी की बुवाई के बाद अगर वर्षा नहीं होता है, तो हमें कम से कम चार पांच बार सिंचाई कर देनी चाहिए|
उड़द
उड़द एक उष्णकटिबंधीय पौधा होने के कारण इसे आर्द्र एवं गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है| समुचित जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी में उड़द की खेती काफी अच्छी होती है| उड़द की उन्नतशील प्रजातियां जैसे : टी-9, पंत यु-19, पंत यु-30, जेवाईपी, यु जी-218, आदि हैं| उड़द बोते समय अगर आप केवल उड़द का बीज ही होते हैं, तो आपको प्रति हेक्टेयर 15 से 20 किलोग्राम उड़द होनी चाहिए| लेकिन अगर आप उड़द के साथ मिश्रित फसल बोते हैं, तो आपको प्रति हेक्टेयर में 8 से 10 किलोग्राम उड़द का बीज बोना चाहिए|
खरीफ ऋतु में उड़द की बुवाई जून के अंतिम सप्ताह से लेकर जुलाई के अंतिम सप्ताह तक कर सकते हैं| उड़द की खेती में अगर सिंचाई की बात करें, तो बारिश के मौसम में दो से तीन बार सिंचाई करनी चाहिए| उड़द के साथ आप मिश्रित फसल जैसे उड़द सरसों, उड़द गेहूं, उड़द पड़त मक्का, उड़त पड़त ज्वार आदि बो सकते हैं|
ज्वार
ज्वार मोटे अनाज वाली बाजरा के बाद दूसरी महत्वपूर्ण फसल है| अधिक तापमान और बारानी क्षेत्रों की कम उर्वरता वाली मिट्टी में बाजरा की खेती की जाती है| ज्वार फसल की जड़ें मिट्टी के निचले हिस्से से बड़ी आसानी से जल का अवशोषण कर लेती है, यही वजह है कि कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी ज्वार की फसल आसानी से की जा सकती है| भारत के राज्य जैसे : राजस्थान, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र में ज्वार की खेती की जाती है|
ज्वार गर्म जलवायु की फसल मानी जाती है, इसीलिए ज्वार की खेती बड़ी आसानी से समुद्र तल से लगभग 15 मीटर तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी की जा सकती है| लेकिन अच्छे जल निकासी वाली चिकनी, दोमट मिट्टी में ज्वार की फसल काफी अच्छी होती है| हल्की लवणीय या क्षारीय मिट्टी में भी ज्वार की फसल आसानी से उगाई जा सकती है| ज्वार की फसल को अन्य फसलों के साथ मिलाकर बो सकते हैं| जैसे : ज्वार-गेहू, ज्वार-आलू-गेहूं, ज्वार-लाही-बसंत कालीन गन्ना, ज्वार-आलू-मूंग, ज्वार-बरसींग आदि|
खरीफ का अर्थ | Meaning of Kharif Crops
अरबी भाषा से खरीफ शब्द की उत्पत्ति हुई है, खरीफ शब्द का मतलब होता है पतझड़। इसीलिए भारत के कई राज्यों में खरीफ के फसल को पतझड़ का फसल कहते हैं| भारत में जब मुगलों का आगमन हुआ था, तभी से खरीफ फसल और खरीफ की फसलें प्रचलन में आई थी| Kharif Ki Fasal को मानसून का फसल भी कहा जाता है|
खरीफ की फसल कब बोई जाती है?| Kharif Ki Fasal Kab Boee Jati Hai
भारत में मुख्य तौर पर खरीफ की फसलें वर्षा ऋतु और मानसून के आगमन पर बोई जाती है, जो कि जून-जुलाई में बोई जाती है|
Kharif Ki Fasal कब काटी जाती है?
खरीफ की फसल सितंबर-अक्टूबर के महीने में काटी जाती है|
खरीफ फसल क्या है उदाहरण सहित बताइए?(FAQ)
खरीफ का अरबी भाषा का मतलब होता है मानसून, इसलिए खरीफ की फसल (Kharif Crops) को मानसून का फसल भी कहा जाता है|
गन्ना खरीफ की फसल है|
सोयाबीन खरीफ की फसल है|
जी नहीं,
खरीफ की दो फसल : गन्ना, करेला
निष्कर्ष
दोस्तों इस आर्टिकल में हमने Kharif Ki Fasal के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से बताई (MyBagicha.info) हुई है| इस आर्टिकल को पढ़कर आप Kharif Crops के अंतर्गत बोई जाने वाली सभी फसलों के नाम जान सकते हैं| अगर इस आर्टिकल से संबंधित आपका कोई सवाल है, तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं| आप इस लिंक पर क्लिक करके खरीफ फसल की और जानकारी पा सकते हैं|