Girodhpuri Jaitkham: भारत के दिल में स्थित छत्तीसगढ़ में समृद्ध सांस्कृतिक परंपराएं और अद्भुत प्राकृतिक विविधता है। राज्य में प्राचीन स्मारक, दुर्लभ वन्यजीव, झरने, पहाड़ी पठार, गुफा चित्र और गुफाएं, नक्काशीदार मंदिर, बौद्ध स्थल हैं लेकिन इन सभी के अलावा एक और नए पर्यटन स्थल का निर्माण किया गया जो वर्तमान में और आने वाले समय में भी छत्तीसगढ़ की शान बना रहेगा। यह पर्यटन स्थल गिरौधपुरी में हैं जिसे गिरौधपुरी धाम कहा जाता है, आइये हम इस गिरौधपुरी जैतखाम/ धाम के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं।
Girodhpuri Jaitkham
महानदी और जोंक नदियों के संगम पर बलौदाबाजार से 40 किमी और बिलासपुर से 80 किमी दूर गिरौदपुरी धाम स्थित है यह छत्तीसगढ़ का सबसे पूजनीय तीर्थ स्थल है। यह गिरौधपुरी जैतखाम सतनामी समुदाय के लोगों के लिए सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। यहां पूरे साल भक्तों का आना जारी रहता है लेकिन फागुन पंचमी में हर साल तीन दिवसीय मेले के दौरान लाखो की संख्या में लोग गिरौधपुरी आते हैं।
जैतखाम क्या है?
जैतखाम सतनामियों के सत्य नाम का प्रतीक जयस्तंभ साथ ही यह सतनाम पंथ की विजय कीर्ति को प्रदर्शित करने वाली आध्यत्मिक पताका है। आमतौर पर सतनाम समुदाय के लोगों द्वारा अपने मोहल्ले, गाँव में किसी चबूतरे या प्रमुख स्थल पर खम्बे में सफ़ेद झंडा लगा दिया जाता है जिसे जैतखाम कहा जाता है यहाँ कई तरह के धार्मिक क्रियाकलाप भी किये जाते है। source – जैतखाम
जैतखाम शांति, एकता और भाईचारे का प्रतीक है गिरौदपुरी में जो जैतखाम बनाया गया यह सामान्यतौर पर जो जैतखाम बनाया जाता है उससे बिलकुल अलग है यह बहुत भव्य है साथ ही इसे बनाने के लिए आधुनिक तकनीको का इस्तेमाल किया गया है गिरौधपुरी जैतखाम की ऊँचाई दिल्ली के कुतुब मीनार से भी अधिक है, इसकी ऊंचाई 77 मीटर (243 फीट) है, जबकि कुतुब मीनार 72.5 मीटर (237 फीट) ऊंची है. सीढ़ियों से ऊपर और नीचे जाने के लिए एक स्पायरल सीढ़ी भी बनाई गई है। इसके अलावा, लिफ्टों को विशेष रूप से बुजुर्गों, विकलांगों, बच्चों और महिलाओं के लिए डिज़ाइन किया गया है।
यह स्तंभ कई किलोमीटर दूर से दिखाई देने लगता है। इस सफेद स्तंभ की वास्तुकला इतनी शानदार है कि लोगों की आँखें चकरा जाती हैं। यह वायुदाब और भूकंप प्रतिरोधी है और आसमानी बिजली से और आग से बचाव के लिए उच्च तकनीकी प्रावधान भी किए गए हैं। इसके अलावा इसमें सात बालकनियाँ भी बनाई गई हैं, जहाँ आगंतुक अपने आस-पास के खूबसूरत प्राकृतिक परिदृश्य को देख पाएंगे।
इस भव्य जैतखाम को गिरौधपुरी में बनाये जाने के पीछे भी ऐतिहासिक कारण, आइये चलते हैं इतिहास के पन्नो को पलटते हैं और जानते है आखिर इसे गिरौधपुरी में क्यों बनाया गया। गिरौधपुरी आध्यात्मिकता और ऐतिहासिक रुचि के साथ गहरे संबंध वाला यह छोटा सा गाँव छत्तीसगढ़ के सतनामी गुरु घासीदास जी का जन्मस्थान है। इनका जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। इन्हें ज्ञान की प्राप्ति छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले की सारंगगढ़ तहसील में बिलासपुर रोड पर एक पेड़ के नीचे तपस्या करते हुए, बाबा जी को आत्मज्ञान प्राप्त हुआ। इन्हीं गुरु घासीदास बाबा के सम्मान में राज्य सरकार ने 50 करोड़ रूपये की लागत से 243 फीट ऊँचे जैतखाम का निर्माण करवाया गया है।
How to reach Girodhpuri Jaitkham
गिरौधपुरी जैतखाम पहुंचना बहुत ही आसान है यह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 135 किलोमीटर दूर है बलौदाबाजार होते हुए गिरौधपुरी आसानी से पहुंच सकते है
- निकटतम हवाई अड्डा – निकटतम प्रमुख हवाई अड्डा रायपुर
- निकटतम रेलवे स्टेशन – गिरौदपुरी धाम आने के लिये भाटापारा, रायपुर, बिलासपुर एवं महासमुंद रेल्वे स्टेशन हैं
- सडक मार्ग- गिरौदपुरी धाम रायपुर, महासमुंद, बलौदाबाजार, शिबरीनारायण, बिलासपुर, सारंगढ़, इत्यादि शहरों से सड़क मार्ग के माध्यम से पहुंचा जा सकता है ।
Places To Visit Near Girodhpuri Jaitkham
- तुरतुरिया – ऐसा माना जाता है की बाल्मिकी जी का आश्रम एवं लव कुश की जन्मस्थली तुरतुरिया में हैं। यह स्थान प्राकृतिक परिदृश्य से भरा एक सुंदर स्थान है जो पहाड़ों से घिरा हुआ है। बरनावापारा अभयारण्य भी पास में स्थित है।