शनि कवच ( Shani kavach ) का पाठ नियमित करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती है। शनि ग्रह की कास्ट से बचने के लिए अनेक प्रकार के मंत्र जाप, पाठ आदि शास्त्रों में दिए गए हैं। शनि देव के कई प्रकार के मंत्र, स्त्रोत, या पाठ हैं उनमें से शनि कवच एक है। जैसे की युद्ध क्षेत्र में जाने से पहले सैनिक अपने शरीर पर एक लोहे का कवच धारण करता था, ताकि शत्रुओं के वार से उसे चोट ना आए और कवच के कारण सैनिक सुरक्षित रहता है। उसी प्रकार शनि कवच का नियमित पाठ करने से व्यक्ति दुःख पीड़ा और कास्ट से सुरक्षित रहता है। किसी प्रकार की हानि उसे शनि की दशा/अन्तर्दशा में नहीं होती है। कवच का अर्थ ही ढाल होता। जो व्यक्ति शनि कवच का पाठ नियम से करता है उसे शनि महाराज डराते नहीं है।
शनि कवच के लाभ (Shani Kavach benefits in Hindi)
शनि की दशा हो, अन्तर्दशा हो, शनि की ढैय्या हो अथवा शनि की साढ़ेसाती ही क्यों ना हो, कवच का पाठ करने पर कष्ट, व्याधियाँ,पराजय, विपत्ति, आपत्ति, अपमान, आरोप-प्रत्यारोप तथा हर प्रकार के शारीरिक, मानसिक तथा आर्थिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। जो व्यक्ति इस कवच का पाठ निरंतर करता है। उसे अकाल मृत्यु तथा हत्या का भय भी नहीं रहता है, क्योंकि ढाल की तरह शनि कवच उसकी सुरक्षा करता है। ऎसे व्यक्ति को लकवे आदि का डर भी नहीं होता है। यदि किसी कारणवश आघात हो भी जाए तब भी विकलांग नहीं होता है शीध्र ही ठीक हो जाता है। इलाज के बाद व्यक्ति ठीक हो जाता है ।
शनि कवच
II शनि कवचं II
अथ श्री शनिकवचम्
अस्य श्री शनैश्चरकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः II
अनुष्टुप् छन्दः II शनैश्चरो देवता II शीं शक्तिः II
शूं कीलकम् II शनैश्चरप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः II
नीलाम्बरो नीलवपु: किरीटी गृध्रस्थितत्रासकरो धनुष्मान् ।
चतुर्भुज: सूर्यसुत: प्रसन्न: सदा मम स्याद्वरद: प्रशान्त:।।1।।
श्रृणुध्वमृषय: सर्वे शनिपीडाहरं महत् ।
कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम् ।।2।।
कवचं देवतावासं वज्रपंजरसंज्ञकम् ।
शनैश्चरप्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम् ।।3।।
ऊँ श्रीशनैश्चर: पातु भालं मे सूर्यनंदन: ।
नेत्रे छायात्मज: पातु कर्णो यमानुज: ।।4।।
नासां वैवस्वत: पातु मुखं मे भास्कर: सदा ।
स्निग्धकण्ठश्च मे कण्ठ भुजौ पातु महाभुज: ।।5।।
स्कन्धौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रद: ।
वक्ष: पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितस्थता ।।6।।
नाभिं गृहपति: पातु मन्द: पातु कटिं तथा ।
ऊरू ममाSन्तक: पातु यमो जानुयुगं तथा ।।7।।
पदौ मन्दगति: पातु सर्वांग पातु पिप्पल: ।
अंगोपांगानि सर्वाणि रक्षेन् मे सूर्यनन्दन: ।।8।।
इत्येतत् कवचं दिव्यं पठेत् सूर्यसुतस्य य: ।
न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवन्ति सूर्यज: ।।9।।
व्ययजन्मद्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोSपि वा ।
कलत्रस्थो गतोवाSपि सुप्रीतस्तु सदा शनि: ।।10।।
अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे ।
कवचं पठते नित्यं न पीडा जायते क्वचित् ।।11।।
इत्येतत् कवचं दिव्यं सौरेर्यन्निर्मितं पुरा।
जन्मलग्नस्थितान्दोषान् सर्वान्नाशयते प्रभु: ।।12।।
Shani Kavach Lyrics video by Kedar Pandit
शनि कवच के लाभ हिन्दी अर्थ सहित
इस कवच को “ब्रह्माण पुराण” से लिया गया है, जिन व्यक्तियों पर शनि की ग्रह दशा का प्रभाव बना हुआ रहता है। उन्हें इसका पाठ नियमित करना चाहिए। जो व्यक्ति इस कवच का पाठ कर शनिदेव को प्रसन्न करता है उसके सभी मनोकामना पूर्ण होते हैं। जन्म कुंडली में शनि ग्रह के कारण अगर कोई दोष भी है तो वह इस कवच के नियमनित और नियम से किए पाठ से दूर हो जाते हैं।अगर आप शनि दशा से गुजर रहे हैंतो प्रत्येक शनिवार ‘शनि कवच’ का पाठ अवश्य करें। इसका पाठ शनि देव के प्रकोप को शांत कर देता है। साढ़ेसाती या ढैय्या जैसी दशा के समय इस पाठ से कष्ट की अनुभूति नहीं होती है, बल्कि शनिदेव आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।
हर शनिवार के दिन अथवा शनि जयंती को शनि कवच का पाठ करने से जीवन में शांति की प्राप्ति होती है। अंत में शनि की धूप व दीप आरती कर जीवन में मन, वचन व कर्म से हुई त्रुटियों की क्षमा मांग प्रसाद ग्रहण करें। जाने-अनजाने में हुए पाप-कर्म एवं अपराधों के लिए शनिदेव से क्षमा याचना जरूर करे। जिस किसी व्यक्ति को शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या चल रही है उनको शनि कवच का पाठ करने से उन्हें मानसिक शांति प्राप्त होती है और एक अद्रश्य कवच उनको सुरक्षा देता है साथ में भाग्य उन्नति का लाभ प्राप्त होता है। शनि कवच का पाठ एक प्रकार का शनिदेव के आशीर्वाद प्राप्त करने का एक माध्यम है।
शनि की ढैय्या या शनि की साढ़ेसाती के कारण बर्बादी से बचने के लिए शनि कवच रक्षक का काम करता है। यह मन के अवसाद और अकर्मण्यता राज्य से निपटने के लिए सहायक है। व्यापार में सफलता, पढ़ाई और जीवन के अन्य क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए शनि कवच का पाठ सबसे श्रेष्ठ माना गया है । शनि कवच, शनि के अशुभ प्रभाव को दूर करने वाले गुणों के लिए जाना जाता है।
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