छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के जशपुर (Jashpur) जिले में बहुत सारे धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन स्थल है प्रकृति की गोद में बसे, नैसर्गिक सौंदर्य से आच्छादित जशपुर जिला, धरती का स्वर्ग समान है, इन प्राकृतिक सौंदर्य से भक्त और पर्यटक अपने आप को रोक नहीं पाते हैं इन्ही में से एक है खुड़िया रानी की गुफा (Khudiya Rani gufa)। खुड़ियारानी की गुफा जशपुर जिला के बगीचा (Bagicha) तहसील से 17 किलोमीटर पर स्थित सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान माना जाता है, यह चारो ओर घने जंगल और पहाड़ो से घिरे हुए है इस गुफा तक जाने से पर्यटकों का मन मोहित हो जाता है वन वासनी देवी खुड़िया रानी घने जंगलों के बीच स्थित बहुत अँधेरी गुफा में विराजमन है।
खुड़िया रानी की गुफा (Khudiya Rani Dham)
खुड़िया रानी गुफा छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के बगीचा तहसील के छिछली नमक ग्राम के अंतर्गत आता है। जिला मुख्यालय जशपुर से लगभग 135 किलोमीटर दूर, समुद्र तल से 2 हजार 525 फीट की ऊंचाई पर हरी भरी पहाडिय़ों के बीच स्थित यह गुफा अपने आप मे बहुत सुन्दर और अलौकिक है, ओर जशपुर जिला के बगीचा तहसील से लगभग 17 किलोमीटर पर है ओर अंबिकापुर से लगभग 70 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है यहां आज भी पौराणिक सभ्यता ओर संस्कृति के अनोखे रूपों की झलक दिखाई पड़ती है. जिनमें वास्तुकला एवं मूर्तिकला की स्पष्ट छाप है।
यह गुफा अँधेरी गुफा के नाम से जाना जाता है। काफी लोग इसे इंटरनेट पर खुड़िया रानी मंदिर के नाम से बताये है लेकिन आप लोगो को मै बता दू की यंहा कोई मंदिर नहीं है माता खुडियारानी गुफा में निवास करती हैं माता खुड़िया रानी जंहा निवास करती है वह तक पहुंच पाना मुश्किल है इस लिए यंहा के पंडा लोग जो यंहा पर माता की पूजा करते है। बहार मूर्ति राखी हुयी है उसे ही पूजा किया जाता है।
गुफा के मुख्य द्वार परअन्य देवी देवताओं जैसे शिव, नंदी, माँ काली, माँ शिरंगी और भैरव बाबा की प्रतिमा देखने को मिलती है गुफा के आंतरिक भाग में माँ खुड़िया रानी की प्रतिमा है, इस गुफा के अंदर बहुत अँधेरा होता है ओर पानी की धरा निचे बहती रहती है जो की बहुत मनमोहक है। लोगों की ऐसी श्रद्धा है की यहाँ आकर पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है इसलिए रोज़ाना दूर दूर से भक्त पूजा अर्चना के लिए जाते हैं और जब मनोकामना पूर्ण हो जाती है तब अपनी भक्ति अनुसार नारियल या बकरे की बलि देने जाते हैं। इस जगह के नागरिकों को कोरवा जनजाति के नाम से जाना जाता है।
माता खुड़ियारानी की पूजा अर्चना
माता खुड़िया रानी की पूजा बैगा के द्वारा गुफा के बाहर करवाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि प्राचीन समय में गुफा के अंदर ही पूजा अर्चना की जाती थी परन्तु एक बार बैगा पूजा कर के भोग चढाने के बाद गुफा से बाहर निकल गया तभी उसे याद आया कि वह अपना औजार भूल गया है जब वो पुनः गुफा के अंदर औजार लेने वापस गया उस समय देवी भोग ग्रहण कर रही थी, बैगा को देख माता क्रोधित हो गई ओर तब से वहां के कपाट बंद हो गए। इसी कारण आजकल यहां गुफा के बहार ही पूजा अर्चना की जाती है।
सोने कि नथनी वाली मछली का रहस्य
माता खुड़िया रानी के गुफा से निचे डोड़की नदी की बहती जलधारा एक चट्टान से निचे गिरती है जो बहुत सुन्दर जलप्रपात बनाती है ओर यंहा पर गहराई में ऐसा माना जाता है कि एक बड़ी सी मछली रहती है जो सोने का नथनी पहनी हुयी है उसको देखने के लिए पानी में मुरहा को फेकना पड़ता है तब वह बहार निकलती है यह मछली बहुत काम लोगो को दिखाई देती है।
खुड़िया रानी में मेला का आयोजन
कार्तिक पूर्णिमा के दिन यंहा विशाल का आयोजन होता है, यह मेला प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन होता है इस दिन यंहा लाखों श्रदालु की भीड़ माता के दर्शन ओर पूजा अर्चना के लिए जमा होती है।
खुड़िया रानी गुफा की कुछ विशेषतायें-
गुफा के बाह्य एवं आंतरिक भाग की सुंदरता बहुत अलौकिक है, गुफा के बाह्य भाग में स्थित प्राकृतिक दृश्य ऐसे है मानो यह पूरे विश्व के प्राचीनतम धरोहरों में से एक है, ऐसा माना जाता कि यह जम्मू कश्मीर में स्थित मां वैष्णो देवी का पर्याय रूप है। बहार कि ओर प्राकृतिक चट्टान मंदिर के सामान दिखती है जो कि लगभग 200 फीट ऊंचा है। इसे आप निचे दिए गए चित्र से देख सकते हैं यहां गुफा के अंदर ओर बहार शीतल एवं स्वच्छ जलधारा बहती है।
गुफा के आंतरिक भाग तक पहुंचना आसान नहीं है क्योंकि अंधेरे के कारण वहां कम दिखाई पड़ता है 100 मीटर की लंबी गुफा अपने आप मे काफी अलौकिक है, गुफा के अंदर निचे पानी की शीतल जलधारा बहती है जो अंदर प्रवेश करते वक़्त पैरो को धोती है। गुफा के ठीक दांयीं ओर एक और प्राकृतिक गुफा भी मौजूद है जिसकी खोज यहां के एक भगत ने की है, श्र्द्धापाठ एवं छिछली पाठ के पठारी भागों से निकलकर यहां डोड़की नदी जगह जगह कई जलप्रपात बनाती है। गुफा के बाह्य भाग में पेड़ों पर मधुमक्खियों को माँ के सैनिक के रूप में मन जाता हैं।
कुछ मुख्यालय से खुडियारानी कि दुरी
- अंबिकापुर से खुड़िया रानी कि दुरी – 70 KM
- बगीचा से खुड़िया रानी कि दुरी – 17 KM
- जशपुर से खुड़िया रानी कि दुरी – 135 KM
- कुनकुरी से खुड़िया रानी कि दुरी -95 Km
- कांसाबेल से खुड़िया रानी कि दुरी – 57 KM
- पथलगाव से खुड़िया रानी कि दुरी – 100 KM
- मैनपाठ से खुड़िया रानी कि दुरी – 85 KM
- रायगढ़ से खुड़िया रानी कि दुरी – 196 KM
- बिलाषपुर से खुड़िया रानी कि दुरी – 295 KM
- रायपुर से खुड़िया रानी कि दुरी – 400KM
- रांची से खुड़िया रानी कि दुरी – 246 KM
खुड़िया रानी गुफा तक कैसे पहुंचे How to Arrive Khudiyarani Temple
- सड़क मार्ग से – जशपुर सड़क मार्ग से रायगढ़, अंबिकापुर, रांची से जुड़ा हुआ है। खुरियारानी गुफा बागीचा ब्लॉक से लगभग 17 किमी दूर है।
- ट्रेन से – जशपुर से निकटतम रेलवे स्टेशन रांची और अंबिकापुर है।
- हवाईजहाज से – जशपुर से निकटतम हवाई अड्डा रांची है। रांची से कोलकाता, दिल्ली, पटना, मुंबई, वाराणसी, लखनऊ और काठमांडू जैसे विभिन्न स्थानों के लिए नियमित उड़ानें हैं।
Some Other Place to Visit Near Khudiyarani
- Kailash Cave: Shiv Shankar temple from Jashpur Chhattisgarh
- कैलाश गुफा के बारे में | कैलाश गुफा बगीचा जशपुर छत्तीसगढ़
- खुड़िया रानी गुफा का रहस्य | Khudiya Rani Mandir Jashpir CG
- IFSC CODE OF SBI BANK – BAGICHA
- Full Size Images of Rajpuri Waterfall Bagicha