जब भी आप प्राणायाम करें, आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए। इसके लिए आप किसी भी ध्यानात्मक आसन में बैठ जायें। जैसे: सिंद्धासन, सुखासन, वज्रासन आदि। यदि आप किसी भी आसन में नहीं बैठ सकते। तो कुर्सी पर भी सीधे बैठकर प्राणायाम कर सकते हैं, परन्तु रीढ की हड्डी को सदा सीधा रखे। आजकल लोग चलते-फिरते या प्रातभ्र्रमण के समय भी घूमते हुए नाड़ी-शोधन आदि प्राणायामों को करते रहते हैं, यह सब गलत प्रक्रिया है।
इससे कभी तीव्र हानि भी हो सकती है। प्राणायाम करने से प्राणशक्ति का उत्थान होता है तथा मेरूदण्ड से जुड़े हुए चक्रों का जागरण होता है। अतः प्राणायाम में सीधा बैठना अति आवश्यक है। बैठकर प्राणायाम करने से मन का भी निग्रह होता है।
योग में पाँच सर्वश्रेष्ठ बैठने की अवस्थाएँ/स्थितियाँ हैं :
- सुखासन (Sukhasana) – सुखपूर्वक (आलथी-पालथी मार कर बैठना)।
- सिद्धासन (Siddhasana ) – निपुण, दक्ष, विशेषज्ञ की भाँति बैठना।
- वज्रासन (Vajrasana ) – एडियों पर बैठना।
- अर्ध पद्मासन (Ardha Padmasana) – आधे कमल की भाँति बैठना।
- पद्मासन (Padmasana ) – कमल की भाँति बैठना।
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