हमारे मन में ऐसे बहुत सारे सवाल आते हैं की आखिर क्यों भगवान गणेश को तुलसी नहीं चढ़ाते हैं ? भगवान गणेश को इनमें से क्या नहीं चढ़ता है? गणेश ने तुलसी को क्यों श्राप दिया? गणेश जी की क्या दुश्मनी है तुलसी से? तुलसी कौन से भगवान को नहीं चढ़ती है? तो दोस्तों आज इन सरे सवालो के जवाब हम एक कथा के माध्यम से जानेंगे तो पढ़िए पूरी कथा
हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार भगवान श्री गणेश (Shri Ganesh) को भगवान श्री कृष्ण ( Shri Krishna) का अवतार माना जाता है और भगवान श्री कृष्ण स्वयं भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के अवतार है। लेकिन जो तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, इतनी प्रिय की भगवान विष्णु के ही एक रूप शालिग्राम का विवाह तक तुलसी से होता है वही तुलसी भगवान श्री गणेश को अप्रिय है, इतनी अप्रिय की भगवान गणेश के पूजन में इसका प्रयोग वर्जित है। पर ऐसा क्यों है इसके सम्बन्ध में एक पौराणिक कथा है
गणेश जी को तुलसी का भोग क्यों नहीं लगाया जाता?
एक बार श्री गणेश गंगा किनारे (Side of Ganga) तप कर रहे थे। इसी समय में धर्मात्मज की नवयौवना कन्या तुलसी ने विवाह की इच्छा लेकर तीर्थ यात्रा पर प्रस्थान किया। देवी तुलसी सभी तीर्थस्थलों का भ्रमण करते हुए गंगा के तट पर पंहुची। गंगा तट पर देवी तुलसी ने युवा तरुण गणेश जी को देखा जो तपस्या में विलीन थे। शास्त्रों के अनुसार तपस्या में विलीन गणेश जी रत्न जटित सिंहासन पर विराजमान थे। उनके समस्त अंगों पर चंदन लगा हुआ था। उनके गले में पारिजात पुष्पों के साथ स्वर्ण-मणि रत्नों के अनेक हार पड़े थे। उनके कमर में अत्यन्त कोमल रेशम का पीताम्बर लिपटा हुआ था।
गणेश ने तुलसी को क्यों श्राप दिया? (Why Ganesha cursed Tulsi)
तुलसी श्री गणेश के रुप पर मोहित हो गई और उनके मन में गणेश से विवाह करने की इच्छा जाग्रत हुई। तुलसी ने विवाह की इच्छा से उनका ध्यान भंग किया। तब भगवान श्री गणेश ने तुलसी द्वारा तप भंग करने को अशुभ बताया और तुलसी की मंशा जानकर स्वयं को ब्रह्मचारी बताकर उसके विवाह प्रस्ताव को नकार दिया।
श्री गणेश द्वारा अपने विवाह प्रस्ताव को अस्वीकार कर देने से देवी तुलसी बहुत दुखी हुई और आवेश में आकर उन्होंने श्री गणेश के दो विवाह होने का शाप दे दिया। इस पर श्री गणेश ने भी तुलसी को शाप दे दिया कि तुम्हारा विवाह एक असुर से होगा। एक राक्षस की पत्नी होने का शाप सुनकर तुलसी ने श्री गणेश से माफी मांगी।
तब श्री गणेश ने तुलसी से कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण राक्षस से होगा। किंतु फिर तुम भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को प्रिय होने के साथ ही कलयुग में जगत के लिए जीवन और मोक्ष देने वाली होगी। पर मेरी पूजा में तुलसी चढ़ाना शुभ नहीं माना जाएगा। तब से ही भगवान श्री गणेश जी की पूजा में तुलसी वर्जित मानी जाती है। हम सभी यह जानते हैं कि श्री गणेश को दूर्वा बहुत प्रिय है। दूर्वा को दूब भी कहते है।
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